इसरो ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से एडवांस रिमोट सेटिंग सैटेलाइट कार्टोसेट 3 को सफलतापूर्वक लांच किया

इसरो ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से एडवांस रिमोट सेटिंग सैटेलाइट कार्टोसेट 3को सफलतापूर्वक लांच किया


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से एडवांस्ड रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट कार्टोसैट-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह इसरो का साल का पांचवां मिशन है। कार्टोसैट के साथ अमेरिका के अन्य 13 छोटे कमर्शियल उपग्रह भी अपनी कक्षाओं में स्थापित हुए। यह लॉन्चिंग पीएसएलवी-सी47 रॉकेट से की गई। कार्टोसैट का इस्तेमाल मौसम और सैन्य जानकारी जुटाने में होगा।


इसरो प्रमुख डॉ. के. सिवन ने सफल प्रक्षेपण के बाद कहा कि मैं बहुत खुश हूं क्योंकि पीएसएलवी-सी47 ने कार्टोसैट-3 और 13 अमेरिकी सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। यह सबसे ताकतवर कैमरे वाला नागरिक उपग्रह है। मैं पूरी टीम को सैटेलाइट टीम को बधाई देना चाहता हूं क्योंकि यह देश का अब तक सबसे बेहतरीन अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है। अब हम मार्च तक 13 उपग्रह और छोड़ेंगे। हमारा यह टारगेट है और इसे अवश्य पूरा करेंगे।


1500 किलो वजन, एडवांस्ड रेजोल्यूशन वाले अर्थ इमेजिंग सैटेलाइटों में पहला


बता दें कि कार्टोसैट-3 का वजन करीब 1500 किलोग्राम है। यह थर्ड जेनरेशन एडवांस्ड हाई रेजोल्यूशन वाले अर्थ इमेजिंग सैटेलाइटों में पहला है। एजेंसी 1988 से ही रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट लॉन्च कर रही है। इन सैटेलाइट्स के जरिए इसरो को पृथ्वी की हाई-रिजोल्यूशन तस्वीरें मिलती हैं। इनका उपयोग 3-डी मैपिंग, आपदा प्रबंधन, खेती, जल प्रबंधन और सीमा सुरक्षा के लिए भी किया जाता है।


ये है खासियत


-कार्टोसैट-3 एक सैटेलाइट है, यह कार्टोसैट सीरीज का नौवां सैटेलाइट है। इसे पृथ्वी से 450 किमी ऊपर की कक्षा में स्थापित किया जायेगा।


-पृथ्वी का निरीक्षण करने वाला या रिमोट सेंसिंग उपग्रह कार्टोसैट-3 एक उन्नत संस्करण है जो कार्टोसैट-2 सीरीज के उपग्रहों की तुलना में बेहतर आकाशीय और वर्णक्रमीय गुणों से लैस है।


-इस सेटेलाइट में अच्छी तस्वीरों के साथ रणनीतिक एप्लीकेशंस भी होंगे। कार्टोसेट-3 तीसरी पीढ़ी का बेहद आधुनिक और कुशल उपग्रह है जिसकी अच्छी तस्वीर लेने की क्षमता है।


-सेटेलाइट में दुनिया का सबसे एडवांस्ड और ताकतवर कैमरा लगा हुआ है। कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम (9.84 इंच) की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा।