"पंच-परमेश्वर" से गांव के विकास को मिली नई दिशा

"पंच-परमेश्वर" से गांव के विकास को मिली नई दिशा  


अमर कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की कहानी पंच-परमेश्वर' भारत के लोकतांत्रिक ढाँचे में आमजन की श्रद्धा और गाँव-गाँव में पुराने समय से स्थापित पंचायत-राज व्यवस्था का अनुपम उदाहरण रही है। मध्यप्रदेश सरकार दवारा इसी अवधारणा के दृष्टिगत पंचायतों में सुदृढ़ ढाँचा तैयार करने में 'पंच-परमेश्वर योजना का सूत्रपात किया गया है।


मध्यप्रदेश में 23 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतत्व में नई सरकार के गठन के साथ ही 'कोविड-19' जैसी महामारी से निपटने के महाअभियान की शुरूआत भी हई है। 22 हजार 812 ग्राम पंचायतों और 55 हजार से अधिक गाँव वाले इस राज्य में 2 तिहाई आबादी गाँव में ही निवास करती है। इन परिस्थितियों, इतनी आबादी और पंचायत राज संस्थाओं को सक्रिय बनाना एक बड़ी चुनौती थी। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 (नियंत्रित करने) के लिए बहआयामी रणनीति पर काम किया गया। इसका परिणाम है कि मध्यप्रदेश में देश के अन्य राज्यों की तुलना में कोरोना मरीजों की संख्या कम रही है।


ग्रामीण अंचल में कोरोना से लड़ने तथा पंचायतों के सुदृढ़ीकरण में पंच-परमेश्वर योजना वरदान साबित हई है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 10 जून को 14वें वित्त आयोग की 1555 करोड़ रूपये की राशि ग्राम पंचायतों को जारी की। इतनी बड़ी मात्रा में एक साथ राशि मिलने से ग्राम-पंचायतों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो रही है। प्रदेश में औसतन 7 से 8 लाख रूपये की राशि एक ग्राम-पंचायत के खाते में पहँची है। राज्य सरकार ने 'पंच-परमेश्वर योजना की गाइडलाइन में भी ग्राम-पंचायतों को अधिक स्वतंत्रता और स्वायत्ता दी।


 कोरोना संक्रमण के इस दौर में ग्राम-पंचायतों के सामने मुख्य चुनौती थी गाँव और ग्रामीणों को कोरोना के संक्रमण से बचाना, गाँव में स्वच्छ पेयजल और अधोसंरचना को सदृढ़ करना। पंच-परमेश्वर' योजना 14वें वित्त की राशि में 2.5 प्रतिशत राशि ग्राम पंचायत के सेनिटाईजेशन, ग्रामीणों और प्रवासी मजदूरों को मास्क उपलब्ध कराने पर व्यय की अनुमति दी गई। ग्राम-पंचायतों में अधोसंरचना विकास के सारे काम पुन: शुरू हो चुके हैं जो स्थानीय रोजगार का माध्यम भी बन रहे हैं।


मनरेगा में खुले रोजगार के नये द्वार


कोरोना संक्रमण काल में बड़ी तादाद में श्रमिकों की वापसी प्रदेश में हई है। इसके साथ ही ऐसे श्रमिक भी हैं जो लॉक-डाउन के कारण अपने गृह-प्रदेश नहीं लौट पाये, उन्हें भी रोजगार मुहैया कराने का काम मध्यप्रदेश सरकार ने किया है।


20 अप्रैल को भारत सरकार द्वारा मनरेगा से जुड़े रोजगार पुन: प्रारम्भ करने की गाइड लाइन जारी की गई। प्रदेश में 73 लाख से अधिक जॉब कार्ड जारी किये गये हैं। इनमें 29 जून को 20 लाख 65 हजार श्रमिकों को 7 लाख 79 हजार कार्यों में रोजगार प्रदान किया जा रहा है। अभी तक प्रदेश में 1861 करोड़ रूपये की राशि मजदूरी के रूप में तथा 616 करोड़ रूपये की राशि निर्माण सामग्री के रूप में भुगतान की गई है। प्रदेश में लौटकर आए प्रवासी मजदूरों को नवीन जॉब कार्ड मुहैया कराने के लिए 'श्रम सिद्धि योजना प्रारंभ की गई, अभी तक 3 लाख 65 हजार श्रमिकों के नवीन जॉब कार्ड बनाए जा चुके हैं।


मख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल से आजीविका मिशन से जड़ी महिलाओं तथा शहरी क्षेत्र की महिलाओं को घर पर ही मास्क बनाने का काम अभियान के रूप में प्रारंभ कराया गया। इस अभियान को प्रदेश में 'जीवन शक्ति' अभियान के रूप में पहचान मिली। ग्रामीण अंचल में लगभग 20 हजार से अधिक समहों की महिलाएं इस अभियान से जुड़ीं, अभी तक उनके दवारा एक करोड़ मास्क, 17 हजार हैण्डवॉश, 97 हजार सरक्षा किट का निर्माण किया जा चुका है।


तय है कि कोरोना संक्रमण काल में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के कशल नेतत्व में प्रदेश के गाँव, गरीब और ग्राम विकास को नई दिशा मिल रही है।