विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून

विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून


विश्व की प्राचीनतम संस्कृति भारतीय सनातन हिन्दू संस्कृति में पर्यावरण को देवतुल्य स्थान दिया गया है। हम पर्यावरण के सभी अंगों को जैसे जल, वायु, भूमि आदि को देवता ही मानते है।


हिन्दू दर्शन में मनुष्य में पंच तत्वों का समावेश माना है। मनुष्य पांच तत्वों जल, अग्नि, आकाश, पृथ्वी और वायु से मिलकर बना है। वैदिक काल से इनको देवता मान कर इनकी रक्षा कर आशीर्वाद लेने का निर्देश मिलता है ।


भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं गीता में कहा है -- अश्वत्थः सर्व वृक्षा वृक्षाणां अर्थात् वृक्षों में पीपल मैं हं. मां जगदंबा ने स्वयं कहा है 'अहं ब्रह्म-स्वरूपिणी, मत्तः प्रकृति पुरुषात्मकं जगत शून्यं चाशून्यं च। अर्थात्- प्रकृति पुरुषमय विश्व मुझी में, मैं हूँ शून्यअशून्य, मैं हूँ ब्रह्म-स्वरूपिणी, सर्वमयी मुझको जो जाने, वही मनुज है।


धन्य हैं,पीपल-बरगद-तुलसी, गंगा-जमुना... जैसी पुण्यसलिला के बारे में जो जन मान्यता और स्वीकार्यता से हमसभी परिचित है।अध्यात्म और ज्योतिष से जुड़े विद्वान पर्यावरण के क्षेत्र में ज्योतिष तंत्र धार्मिक अनुष्ठान के माध्यम से कार्य करते है।


कि वह अपने पास आए हुए जातक की कुंडली का भली-भांति अध्ययन करके, जो ग्रह या नक्षत्र निर्बल स्थिति में हैं। उनसे संबंधित वृक्षों की सेवा करने, उनकी जड़ों को धारण करने की सलाह देता है, क्योंकि इनमें से कुछ वृक्ष ऐसे भी हैं. जिन्हें घर में लगाना संभव नहीं होता है।


तो ऐसे परिस्थिति में किसी मंदिर में इनका रोपण करें या जहां भी ये वृक्ष हो उनकी सेवा करें और और प्रकृति का आशीर्वाद ग्रहण करें...। हमको यह कार्य आने वाली पीढ़ी और संस्कृति संरक्षण के लिए करना हैंयही हमारी सनातन परंपरा है । जिसे विश्व आज स्वीकार्य करते हुए विश्व पर्यावरण के रूप में मना रहा है।