सावरकर ने एक सभा में कहा था 'मुझे समझने में भारत को 50 वर्ष लगेंगे'

सावरकर ने एक सभा में कहा था 'मुझे समझने में भारत को 50 वर्ष लगेंगे'


राष्ट्रदेव


26 फरवरी, 1966 को सावरकर के “आत्मार्पण" पर जब कुछ सांसदो ने सदन में शोक प्रस्ताव का विचार रखा तो उसे यह कह कर ठुकरा दिया गया कि वह सदन के सदस्य नहीं थे।


हालांकि जब पूछा गया कि अगर शोक व्यक्त करने के लिए संसद का सदस्य होने की बाध्यता है तो चर्चिल और लेनिन के निधन पर भारत की संसद में शोक क्यों व्यक्त किया गया? इसका उत्तर शोक प्रस्ताव का विरोध करने वाले किसी सांसद के पास नहीं था।


सारा राष्ट्र अचंभित व कृतज्ञ था जब 37 वर्ष बाद 26 जनवरी, 2003 को उसी सदन के केन्द्रीय कक्ष में तत्कालीन राष्ट्रपति डा० ए.पी.जे. अब्दुल कलाम व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के हाथों उसी 'कालजयी' के चित्र का श्रद्धा और सम्मान के साथ अनावरण हआ ।