संघ कार्य का शुभारंभ कैसे हुआ?

संघ कार्य का शुभारंभ कैसे हुआ?


इसका आज जब हम विचार करते हैं तो कुछ अटपटा, आश्चर्यजनक और असंभव सा लगता है. 95 वर्ष बाद संघ का कार्य आज देश-विदेश में फैला, विशाल रूप में देखने को मिल रहा है. समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में संघ के विचारों से अनुप्राणित अनेक स्वायत्त स्वतंत्र संस्थाएं कार्यरत हैं.


सभी क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं में वैचारिक समन्वय प्रस्थापित करने की योजना भी साकार की गई है. किंतु इस संघ कार्य का प्रारंभ बड़े विलक्षण ढंग से हआ. डॉक्टर जी के घर की आर्थिक स्थिति बड़ी दयनीय थी. उनके बड़े बंधु सीताराम पंत पौरोहित्य का कार्य करते थे.


उसमें जो कुछ थोड़ी आय होती थी, उससे घर-परिवार का खर्चा कैसे पूरा होता होगा, आज इसकी कल्पना मात्र बैचेन करती है. किन्तु संघ कार्य प्रारंभ करते समय एक नयी अखिल भारतीय भव्य संघटना का विचार कार्यान्वित करते समय डॉक्टर जी ने कभी रुपये-पैसे की चंता नहीं की-उसी भांति कागज पेन्सिल, फाइलें आदि लेखन सामग्री का उपयोग कर इस संगठन का नाम लिखकर कार्य का श्री गणेश नहीं किया.


संगठन का नाम क्या रहेगा, कौन इसके पदाधिकारी होंगे, हरेक को कौन सी जिम्मेदारी सौंपी है, उसका काम क्या रहेगा, उसे कौन से अधिकार प्राप्त हैं - आदि बातें कागज पर लिखने का कभी प्रयास नहीं किया. अपने किशोर युवा स्वयंसेवकों के साथ तन्मयता से लाठी-खेल आदि कार्यक्रम संघ स्थान पर करना और घर की बैठकों में तथा शाखा छुटने के बाद संघ स्थान पर ही सभी स्वयंसेवकों से पूर्णतया समरस होकर अनौपचारिक वार्तालाप चर्चा आदि के साथ ही संगठन का कार्य प्रारंभ हआ.