संघ के प्रमुख (RSS) मोहन भागवत ने गुरुवार (2 जनवरी) को उर्दू शायर अल्लामा इकबाल का मशहूर शेरसुनाया कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी पढ़कर मध्य प्रदेश के इंदौर में मौजूद लोगों को संबोधित किया

इंदौर में बोले आरएसएस चीफ: मोहन भागवत कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।"                                इंदौर में बोले आरएसएस चीफ: मोहन भागवत ने इंदौर में एक परिवार द्वारा शुरू किए गए न्यास के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा, हिंदू समाज ने प्राचीन समय से लेकर आज तक कई बातें झेली हैं, तो कई उपलब्धियां हासिल भी की हैं। पिछले पांच हजार वर्षों में आए उतारचढ़ावों के बावजूद हिंदू समाज के प्राचीन जीवन मूल्य भारत में आज भी प्रत्यक्ष तौर पर देखने को मिलते हैं।"                        भागवत ने आगे कहा, "यहां धर्म से तात्पर्य किसी संप्रदाय विशेष से नहीं, बल्कि मनुष्यों के सह अस्तित्व से जुड़े मूल्यों से है। धर्म समन्वित और संतुलित तरीके से जीवन जीने का तरीका है जिसमें महत्व इस बात का है कि हम दूसरों को क्या दे रहे हैं और उनके भले के लिए क्या कर रहे हैं?" संघ प्रमुख ने परोपकार की भावना पर जोर देते हुए कहा कि भौतिकता के तमाम बदलावों के बावजूद भारत में दान की परंपरा हमेशा जीवंत रहनी चाहिए। दनिया के बाकी देशों के प्राचीन जीवन मूल्य मिट गए। कई देशों का तो नामो-निशान ही मिट चुका है। परंतु हमारे जीवन मूल्य अब तक नहीं बदले हैं। वक्त के तमाम उतार-चढ़ावों के बावजूद भारत में हिंदू समुदाय के प्राचीन जीवन मूल्य कायम रहने का जिक्र करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख (RSS) मोहन भागवत ने गुरुवार (2 जनवरी) को उर्दू शायर अल्लामा इकबाल का मशहूर शेर-"यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गए जहां से...कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।" पढ़कर मध्य प्रदेश के इंदौर में मौजूद लोगों को संबोधित किया।