राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सामाजिक समरसता मंच द्वारा डॉ. भीमराव आम्बेडकर जी के निर्वाण दिवस पर व्याख्यान आयोजित किया गया।


इंदौर : संविधान निर्माता भारत रत्न डॉ. भीमराव आम्बेडकर जी के निर्वाण दिवस पर व्याख्यान का आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सामाजिक समरसता मंच द्वारा किया गया, व्याख्यान में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने डॉ. आम्बेडकर जी के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि न हि वेरेन वेरानि,  सम्मन्तीध कुदाचनं अर्थात् वैर से वैर समाप्त नहीं होता, ये चिंतन समाज के प्रति डॉ. आम्बेडकर जी का था।


सह सरकार्यवाह ने कहा कि समाज सुधारक को सम्मान नहीं मिलता, उसका मार्ग कठिन है. जबकि राजनेता को सम्मान मिलता है. आम्बेडकर जी के विचार के अनुसार वर्ग संघर्ष से विकास और हिंसा से अधिकार नहीं मिलेगा, सब कुछ समन्वय और सहकर प्राप्त हो सकता है।



डॉ. आम्बेडकर जी के जीवन में उनके बचपन में दो शिक्षक श्री पेंडसे एवं श्री विष्णु केलुस्कर एवं अनेक समाज जनों ने उन्हें अध्ययन करने के लिए बहुत सहयोग किया, जो योगायोग से ब्राह्मण थे, भाषा के अनुसार राज्य की रचना हो, इसके पक्ष में आम्बेडकर जी कभी नहीं थे. कार्यक्रम में इंदौर के सभी समाजों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


कार्यक्रम का संचालन सामाजिक समरसता मंच के लोकेश जी सोलंकी ने किया. कार्यक्रम की प्रस्तावना एवं परिचय हेमंत जी मालवीय द्वारा रखी गई. व्यक्तिगत गीत संदीप जी सिसोदिया तथा आभार ईश्वरदास जी हिन्दुजा द्वारा व्यक्त किया गया। 


(सौजन्य से विसंके - इन्दौर)