भैयाजी जोशी ने कहा किशाभाव जी .के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें काम करना चाहिए
शिक्षा को अंतर्बाह्य संस्कारों से जोड़ना होगा – भय्याजी जोशी







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स्व. कृष्णा लक्ष्मण जी व किशाभाऊ पटवर्धन जन्मशती वर्ष का शुभारंभ


 



पुणे (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने कहा कि किशाभाऊ जी के जीवन से प्रेरणा लेकर हम सबको काम करना चाहिए और यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी. किशाभाऊ जी केवल अभिभावक, मार्गदर्शक नहीं, बल्कि एक मित्र थे, जिनकी मित्रता की कोई सीमा नहीं थी. किशाभाऊ का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने केवल सपना नहीं देखा, बल्कि उसे वास्तव में उतारा. 'स्व' रूपवर्धिनी का कार्य करते हुए किशाभाऊ को भय्याजी का सहयोग मिला था. भय्याजी ने कहा कि संकल्प शक्ति एवं मनोशक्ति के सात्विक साधनों पर आधारित 'भाव' किशाभाऊ ने हर एक के मन में निर्माण किया और इस तरह वर्धिनी का कार्य बना. इसी से सज्जन शक्ति वर्धिनी के इस कार्य से जुड़ गई. उन्होंने ही ज्ञान की भूख आम लोगों में जगाई. भय्याजी ने आह्वान किया कि सुशिक्षा को अंतर्बाह्य संस्कारों से जोड़ना होगा और वर्धिनी को ऐसे सेवक बनाने होंगे जो प्रदूषित माहौल में भी चारित्र्य संपन्न होंगे. भय्याजी ने जन्मशती के अवसर पर किए 5 संकल्पों के लिए शुभकामनाएं दीं.

 


'स्व' – रूपवर्धिनी संस्था 40 वर्षों से समाज के वंचित, उपेक्षित वर्गों के लड़के-लड़कियों के लिए काम कर रही है. इस संस्था के संस्थापक स्व. कृष्णा जी लक्ष्मण तथा किशाभाऊ पटवर्धन जी की जन्मशती इस वर्ष है. दैनंदिन कार्यों के साथ 5 नए कार्यों का संकल्प करते हुए किशाभाऊ जी को श्रद्धांजलि देने का निश्चय संस्था के कार्यकर्ताओं ने किया.


जन्मशती वर्ष का शुभारंभ समारोह मंगलवार 03 दिसंबर को शाम 7 बजे आबा साहेब गरवारे महाविद्यालय के मुख्य सभागृह में संपन्न हुआ. कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी थे. वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मविभूषण डॉ. रघुनाथराव माशेलकर कार्यक्रम के अध्यक्ष थे. महाविद्यालय के प्रांगण में 'स्व'-रूपवर्धिनी के कार्य पर एक प्रदर्शनी रखी गई थी, जिसमें वर्तमान कार्य, जन्मशती के उपलक्ष्य में किए 5 संकल्प तथा किशाभाऊ की जीवनी का समावेश था.


कार्यक्रम के आरंभ में स्व. किशाभाऊ पटवर्धन के जीवन पर डॉक्युमेंटरी प्रदर्शित की गई. कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनीष नारकर, डॉ. संजय तांबट ने किया. वर्धिनी के उपाध्यक्ष शिरीष पटवर्धन ने अतिथियों का परिचय करवाया. वर्धिनी के कार्याध्यक्ष ने जन्मशती के उपलक्ष्य में किए 5 संकल्पों की जानकारी दी.


इन संकल्पों की संक्षिप्त जानकारी –



  1. किशाभाऊ के सान्निध्य का लाभ प्राप्त करने वाले 100 लड़के- लड़कियों की कहानियों से सजी पुस्तक प्रकाशित करना, वर्धिनी के दर्शन का विवेचन करने वाली पुस्तक लिखना.

  2. शिक्षा के अधिकार कानून के प्रावधानों को उचित छात्रों तक ले जाने वाला आंदोलन खड़ा करना.

  3. वर्धिनी के शाखा प्रकल्पों में 100 छात्रों के लिए लगातार प्रगति पालकत्व करने वाले अभिभावकों का संगठन करना.

  4. विभिन्न समुदायों के प्रतिभाशाली छात्रों के लिए 'अठरापगड – आगे बढ़' योजना शुरू करना.

  5. ग्रामीण इलाकों से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही छात्राओं के लिए छात्रावास शुरू करना.


 



कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. माशेलकर ने कहा कि वर्धिनी के काम का महत्त्व कालातीत है. वंचित लोगों के विकास हेतु किए 5 संकल्पों के लिए शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि किशाभाऊ जी केवल एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक चलती-फिरती संस्था थे. उपेक्षित वर्गों का विकास हुआ तो देश बदलेगा और इसी विचार की अनवरत प्रेरणा वर्धिनी की स्थापना के पीछे किशाभाऊ जी की थी.

 


उन्होंने कहा कि उचित शिक्षा का उचित मार्ग होना चाहिए. शिक्षा में मूल्य संवर्धन होना चाहिए. आह्वान किया कि वर्धिनी के माध्यम से संपूर्ण समाज के शाश्वत विकास के लिए वर्धिनी के युवक युवतियों को लंबी छलांग लगानी चाहिए और नए भारत का निर्माण करना चाहिए.