मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी अब बड़े बदलाव करने की तैयारी कर रही है जिसके .तहत अब ज्यादातर जिला अध्यक्षों को बदलने के तैयारी शुरू हो गई है

मध्य प्रदेश/ भारतीय जनता पार्टी अब बड़े बदलाव करने जा रही है प्रदेश के ज्यादातर जिला अध्यक्षों को को बदल कर नए चेहरे लाने की  तैयारी  शुरू हो गई है


पुराने चेहरों की जगह नए चेहरे लाने की तैयारी, निष्क्रिय अध्यक्षकों को हटाकर युवा को मिलेगा मौका...।




भोपाल। भारतीय जनता पार्टी में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है। प्रदेश के ज्यादातर जिला अध्यक्षों को बदलकर नए चेहरे लाने की कवायद शुरू हो गई है। इस बार 50 की उम्र पार कर चुके नेताओं को भी हटाए जाने की चर्चा है। यदि ऐसा होता है तो कई वरिष्ठ भाजपा जिला अध्यक्ष इस फार्मूले की भेंट चढ़ जाएंगे।


मध्यप्रदेश में भाजपा जिला स्तर पर अपने संगठन में नई जान फूंकने की तैयारी कर रही है। इसके लिए पहले से जमे जिला अध्यक्षकों के स्थान पर दूसरे व्यक्ति को जिला संगठन को मजबूत करने का जिम्मा दिया जाएगा। माना जा रहा है कि इस बार नए जिला अध्यक्षों को बनाने के लिए 50 की उम्र की सीमा रखी गई है। यानी पचास की उम्र पार कर चुके नेता पहले ही इस दौड़ से बाहर हो जाएंगे। प्रदेश में बीजेपी के 56 संगठनात्मक जिले हैं।


50 पार वाले होंगे बाहर
मध्यप्रदेश भाजपा के जिला अध्यक्षों में कई जिला अध्यक्ष 50 साल की उम्र पार कर चुके हैं। इन पर भी 50 पार का फार्मूला चलाया जा सकता है। पार्टी के वरिष्ठ नेता भी कह रहे हैं कि इस बार हर हाल में यह फार्मूला लागू किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक उम्र के साथ ही कुछ जिलाध्यक्षों को निष्क्रियता और उदासीन रवैये के कारण भी उन्हें बदला जा सकता है। मालवा अंचल, महाकोशल, चंबल-ग्वालियर, बुंदेलखंड और मध्य भारत के कई जिलों में उम्र का बंधन लगाने से अब बीजेपी नए अंदाज में नजर आएगी।


75 पार के बाद अब 50 पार
इससे पहले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में 75 पार का फार्मूला लगाने के बाद कई बुजुर्ग नेताओं को टिकट नहीं दिया गया था। इसके बाद अब पार्टी भाजपा के जिला अध्यक्षों के लिए भी 50 पार का फार्मूला लागू करने जा रही है। इस फैसले के साथ ही अब नए और युवा वर्ग को प्राथमिकता दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने यह भी तय किया है कि इस बार जो नेता संगठन में सक्रिय है, उसे ही जिला अध्यक्ष बनाया जाएगा। सिफारिश करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


indore rakesh singh

यह भी है खास
-नए फार्मूले के आधार पर भाजपा मजबूत विपक्ष की भूमिका में आना चाहती है।
-इसलिए भी जिला अध्यक्षों को बदला जाना है क्योंकि नगर निगम और पंचायत और मंडी चुनाव में नया नेतृत्व मजबूती से भूमिका निभा सके।


इन जिला अध्यक्षों की जाएगी कुर्सी
-दो बार जिला अध्यक्ष रह चुके होशंगाबाद के हरिशंकर जायसवाल 50 पार फार्मूले के तहत बाहर हो सकते हैं।
-लगातार पार्टी की पराजय के कारण आलीराजपुर के किशोर शाह को हटाए जाने की चर्चा है।
-हरदा जिले के अमरसिंह मीणा और रायसेन जिले में धर्मेंद्र चौहान को निष्क्रियता के कारण बदला जाएगा।
-सागर में भी प्रभुदयाल पटेल पर उदासीन रवैये के कारण नया चेहरा लाया जा सकता है।
-उधर, विदिशा के राकेश सिंह जादौन से भी प्रदेश संगठन काफी नाराज है।
-ग्वालियर के देवेश शर्मा की भी यही स्थिति है।
-शिवपुरी में वीरेंद्र रघुवंशी, श्योपुर के गोपाल आचार्य, मुरैना के केदार सिंह यादव का नाम परिवर्तन सूची में है।
-पन्ना के सदानंद गौतम दो बार जिलाध्यक्ष रहे, रीवा में विद्याप्रकाश श्रीवास्तव और सीधी में डॉ. राजेश मिश्रा 50 पार के फार्मूले में आ गए हैं।


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इनकी जगह नए चेहरे आएंगे
कटनी के जिलाध्यक्ष पीतांबर टोपनानी, मंडला के जिलाध्यक्ष रतन ठाकुर, बालाघाट में नरेंद्र रंगलानी, छिंदवाड़ा में नरेंद्र राजू परमार, इंदौर में गोपीकृष्ण नेमा को उम्र के कारण हटाया जा सकता है। खंडवा के हरीश कोटवाले को लगातार दो बार अध्यक्ष बनने के बाद हटाया जा सकता है। सतना जिलाध्यक्ष नरेंद्र त्रिपाठी के नाम पर सांसद गणेश सिंह असहमत हैं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन सहित ग्रामीण जिलाध्यक्षों को अलग-अलग बदलने की तैयारी है। नीमच के हेमंत हरित यादव, रतलाम के राजेंद्र सिंह लूनेरा, मंदसौर के राजेंद्र सुराना,खरगोन में परसराम चौहान, बड़वानी में ओम खंडेलवाल, धार में डॉ. राज वरफा, शाजापुर के नरेंद्र सिंह बैस, आगर-मालवा के दिलीप सखलेचा, देवास के नंदकिशोर पाटीदार को बदला जाएगा।