15 और 16 नवंबर को होने वाले इस सम्मेलन में से एक का विषय 'केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में सुशासन प्रथाओं की प्रतिकृति' रहेगा जबकि दूसरे सम्मेलन का 'जल शक्ति और आपदा प्रबंधन' होगा जो 30 नवंबर से 1 दिसंबर तक चलेगा।
दोनों सम्मेलन कार्मिक, जनता शिकायत और पेंशन केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह की अनुमति से ही हो रहें है जो जम्मू-कश्मीर में विकास कार्यों में तेज़ी लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल जीसी मर्मू , लद्दाख के उप-राज्यपाल और प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के कुछ बड़े अधिकारी भी शामिल होंगे।
दूसरे सम्मेलन में तमिलनाडु और जम्मू एवं कश्मीर अपनी नदियों कावेरी और झेलम को कैसे फिर से युवा करें इस बात पर चर्चा करेंगे। इसमें जिला अधिकारी, नागरिक समाज के सदस्य, भोजन एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारी और बाढ़ पीड़ित परिवारों को मिलाकर कुल 350 लोग हिस्सा लेंगे।
जम्मू एवं कश्मीर के 200 अधिकारी और बाकी प्रदेशों से करीब 90 अधिकारी पहले सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के आईएएस अधिकारी वी श्रीनिवास ने आईएएनएस को बताया, “इसका उद्देश्य एवं केंद्र-बिंदु सार्वजनिक नीति एवं शासन होंगे और विशेष जोर डिजिटल प्रशासन, नागरिक केंद्रित शासन, नवाचार और क्षमता निर्माण पर दिया जाएगा।”
श्रीनिवास ने आगे कहा, “हम आशा करते हैं कि दोनों सम्मेलनों के निरंतर प्रयासों की श्रृंखला से हम पारदर्शी, जवाबदेह और नागरिक के अनुकूल कारगर शासन प्रबंध से जम्मू कश्मीर और लद्दाख को सक्षम बना सकें।”