अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल सुबह 10.30 बजे आ सकता है यूपी में अलर्ट

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट कल सुबह 10.30 बजे सुनाएगी फैसला, यूपी में अलर्ट


अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला कल सुबह 10.30 बजे आ सकता है. जबकि यूपी सरकार ने फैसले के मद्देनजर अयोध्या समेत पूरे प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है.




 





अयोध्‍या. सुप्रीम कोर्ट शनिवार सुबह 10:30 बजे अयोध्‍या मामले में अपना फैसला सुनाएगी. इधर, यूपी सरकार ने अयोध्या जमीन विवाद (Ayodhya Land Dispute) को लेकर आने वाले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के मद्देनजर अयोध्या समेत पूरे प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है. अयोध्या में राम जन्मभूमि (Ram Janmbhoomi) जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया गया है. टेढ़ी बाजार से दोपहिया और चारपहिया वाहनों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई है. सघन चेकिंग के बाद ही श्रद्धालुओं और आम लोगों को जाने दिया जा रहा है. बता दें कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सिंह ने भी लोगों से अपील की है कि इस फैसले को जीत-हार के साथ जोड़कर न देखा जाए.


योगी आदित्यनाथ ने कहा- शांति बनाए रखें





 





सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी एक अपील जारी कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. योगी ने कहा कि इस फैसले को जीत-हार से जोड़कर न देखा जाए. योगी ने कहा कि यूपी शासन लोगों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. कोई भी व्यक्ति कानून के साथ खिलवाड़ करेगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा.


गौरतलब है कि इस मामले पर 40 दिन तक सुनवाई चली थी. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. इस बहुप्रतीक्षित फैसले के मद्देनजर किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश में लगभग 4,000 अर्धसैनिक बल के जवान तैनात किए गए हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अयोध्‍या मामले के फैसले के मद्देनजर सभी राज्‍यों को सतर्क रहने की हिदायत दी है.



अयोध्‍या में अर्धसैनिक बलों के 4,000 जवान तैनात
केंद्र (Central Government) ने सभी राज्यों से अलर्ट (Alert) रहने और संवेदनशील क्षेत्रों (Sensitive Areas) में सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है. गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने उत्तर प्रदेश और खासतौर पर अयोध्या में सुरक्षा के लिए अर्धसैनिक बलों (CPMF) के 4,000 जवानों को भेज दिया है.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी किया गया है, जिसमें सभी संवेदनशील इलाकों में पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों (Security Forces) को तैनात करने को कहा गया है. साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि देश में कहीं भी कोई अप्रिय घटना न हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी नेताओं और मंत्रियों से अयोध्या विवाद पर बयानबाजी नहीं करने की सलाह दी है.



रेलवे पुलिस ने रद्द कर दी हैं सभी कर्मियों की छुट्टियां
रेलवे पुलिस (Railway Police) ने भी सभी कर्मियों की छुट्टियां (Leaves) रद्द कर दी हैं. उन्हें ट्रेनों (Trains) की सुरक्षा में तैनात रहने के निर्देश दिए गए हैं. प्लेटफॉर्म्स, रेलवे स्टेशनों, यार्ड, पार्किंग स्थल, पुलों और सुरंगों के साथ-साथ उत्पादन इकाइयों व कार्यशालाओं में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. दिल्ली (Delhi), महाराष्ट्र (Maharashtra) और उत्तर प्रदेश (UP) के स्टेशनों समेत 78 प्रमुख स्टेशनों की पहचान की गई है, जहां अधिक संख्या में यात्री आते हैं. यहां आरपीएफ (RPF) कर्मियों की मौजूदगी बढ़ाई गई है. परामर्श में पूर्व के उस आदेश को भी रद्द किया गया है, जिसमें स्टेशनों को बिजली बचाने के लिए करीब 30 प्रतिशत रोशनी कम रखने की अनुमति दी गई थी.

 

2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया था फैसला
तीन जजों की खंडपीठ. जस्टिस एस यू खान. जस्टिस सुधीर अग्रवाल. और, जस्टिस डी वी शर्मा. इन्होंने 2:1 की मेजॉरिटी से फैसला सुनाया. कोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन में रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और UP सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, तीनों का मालिकाना हक माना. इन तीनों के बीच जमीन का बंटवारा करने का निर्देश दिया. एक तिहाई रामलला को. एक तिहाई निर्मोही अखाड़ा को. और एक तिहाई मुस्लिम पक्ष को. जहां बाबरी मस्जिद का बीच वाला गुंबद हुआ करता था, वो जगह रामलला को मिली. राम चबूतरा और सीता रसोई निर्मोही अखाड़ा को दी गई. सभी पक्षों ने इस फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील की और इसपर स्टे लग गया.

2017 में सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हुई. उस समय चीफ जस्टिस थे दीपक मिश्रा. दीपक मिश्रा के बाद रंजन गोगोई हुए CJI. 8 जनवरी, 2019 को रंजन गोगोई ने ये मामला पांच जजों की एक खंडपीठ के सुपुर्द किया. 8 मार्च, 2019 को अदालत ने सभी मुख्य पक्षों को आठ हफ़्ते का समय देते हुए कहा कि वो आपसी बातचीत से मध्सस्थता की कोशिश करें. 13 मार्च को मध्यस्थता की कार्रवाई शुरू हुई. मई में कोर्ट ने इसका समय बढ़ाकर 15 अगस्त तक कर दिया. मगर मध्यस्थता की कोशिशें कामयाब नहीं हुईं. 6 अगस्त से कोर्ट ने फाइनल दलीलें सुननी शुरू कीं. 16 अक्टूबर को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा.