प्रधानमंत्री मोदी और जिनपिंक की मुलाकात भारत की बड़ी सफलता रही


मोदी-जिनपिंग की केमिस्ट्री से पाकिस्तान को झटका



 





 













 







चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा विवादों को दरकिनार कर आगे की राह तय करने के लिहाज से बेहद सफल साबित हुई है। खासतौर पर पाकिस्तान के सबसे अहम सहयोगी माने जा रहे चीन के राष्ट्रपति ने जिस तरह से कश्मीर मुद्दे पर खामोशी ओढ़ी उसे भारत की बड़ी सफलता और पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका माना जा सकता है।


जिनपिंग की यात्रा में सबसे ज्यादा कयास कश्मीर को लेकर लगाए जा रहे थे। इसके परे विश्व के दो ताकतवर नेताओं ने विवादों की छाया से बचते हुए व्यापार और परस्पर संपर्क को बढ़ावा देने का फैसला किया।


मोदी की रणनीति सफल रही : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह की रणनीति अपनाई थी उसमें वे सफल साबित हुए। उनकी जिनपिंग से निजी केमिस्ट्री का असर साफ दिखा। कूटनीतिक जानकार जी पार्थ सारथी ने कहा कि निजी रिश्ते बनाना और उसका कूटनीतिक उपयोग करना इस तरह की अनौपचारिक यात्राओं में काफी अहम होता हैं। इस लिहाज से दोनों नेताओं ने भरोसा मजबूत करने के लिए बात की।




 




आर्थिक एजेंडा दोनों देशों के लिए अहम : मोदी-जिनपिंग ने व्यापार, निवेश और सेवा के लिए अलग तंत्र बनाने की घोषणा करके स्पष्ट संकेत दिया कि आर्थिक प्रगति और विकास का एजेंडा उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। 


संवेदनशीलता का ख्याल
जानकारों का कहना है कि कश्मीर को लेकर भारत की अपनी संवेदनशीलता है। अगर कश्मीर का मुद्दा बैठक में उठता तो पूरी वार्ता का फोकस कश्मीर हो जाता इससे दोनों देशों के आर्थिक एजेंडे पर प्रतिकूल असर पड़ सकता था। भारत ने भी चीन की संवेदनशीलता को ध्यान में रखा है। दोनों देशों ने आतंकवाद और कट्टरपंथ की चुनौती का जिक्र बातचीत में किया पर विवादों से दूर रहे।




 



अच्छे रिश्ते होना बेहतर
भारत के लिए चीन से रिश्तों को बेहतर बनाए रखना जरूरी है। चीन का भारत में निवेश है। वहीं भारत का भी चीन से व्यापार बढ़ रहा है। व्यापार घाटे को पाटना भारत के लिए चुनौती है। ऐसे में भारत स्पष्ट रूप से चीन के साथ सहयोग के बिंदुओं पर काम करना चाहता है।