भाईदूज के दिन घर के बाहर लगाए चार बत्तियों वाले दिए . जलाना चाहिए इस दिन बहनें अपने भाई के उज्जवल भविष्य के लिए कामना करती हैं |
भाई दूज के दिन घर के बाहर लगायें चार बत्तियों वाला दीपक
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज पर्व मनाया जाता है। भाई दूज के दिन बहने अपने भाई के उज्जव भविष्य के लिये कामना करती हैं और रोली चावल से भाई तो तिलक लगाती हैं। इस दिन बहनें अपने भाई के लिये व्रत भी रखती हैं। मथुरा में भाई दूज के दिन बहुत खास परंपरा मनाई जाती है। यहां बहुत ही अनोखे तरह से इस दिन को मनाया जाता है।
मथुरा में मनाई जाती है ये परंपरा
भारत में हर त्यौहार को अलग-अलग जगहों पर अलग तरीकों से मनाया जाता है। वहीं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली भाई दूज को मथुरा में अनोखे तरीके से मनाया जाता है। मथुरा के विश्राम घाट पर भाई-बहन हाथ पकड़कर एक साथ स्नान करते हैं। मान्यताओं के अनुसार यमुना नदी को यम की बहन मानी जाती हैं। इसलिये भाई दूज के दिन यमुना में स्नान करने से यम उनकी सभी समस्याओं को खत्म कर देते हैं।
इसके अलावा इस दिन भाई-बहन सुबह स्नान कर नये वस्त्र पहन कर पूजा की थाली सजाती हैं और एक आसन पर चावल के घोल से चौक बनाती हैं। इस चौक पर भाई को बैठाकर बहनें उनके अपने भाईयों के हाथों की पूजा करती हैं। भाई को रोली अक्षत से टीका लगाती हैं।
भाई दूज के दिन घर के बाहर लगायें चार बत्तियों वाला दीपक
भाई दूज के दिन सुबह जल्दी उठकर चांद के दर्शन किये जाते हैं। इसके बाद शाम के समय चार बत्तियों वाला दीपक लगाकर दीपदान किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन ऐसा करने से जीवन में कल्याण और समृद्धि आती है। इसलिये दूज के दिन शाम को यमराज को दीपक समर्पित करें।
इसके बाद आसमान में चील को देखते हैं, कहा जाता है कि इस दिन अगर आपको चील दिखाई दे तो यह बहुत ही शुभता का प्रतीक माना जाता है। क्योंकि इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी आयु की जो कामना कर रही है उस संदेश को चील जाकर यमराज को सुनाएगा।