उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर मैं सुबह होने वाली भस्म आरती में चलित दर्शन को लेकर मंदिर प्रबंध समिति सदस्य पक्ष में नहीं


 








उज्जैन / भस्मआरती में चलित दर्शन को लेकर महाकाल मंदिर प्रबंध समिति सदस्य पक्ष में नहीं, अधिकारी भी तलाश रहे संभावना









  • सिंहस्थ 2016 में श्रद्धालुओं को भस्मआरती में बैठने की बजाय चलते हुए दर्शन की दी थी सुविधा


उज्जैन.महाकाल मंदिर में तड़के होने वाली भस्मआरती के दौरान भी श्रद्धालुओं को दर्शन कराने की सुविधा देने के मामले में अभी मंदिर प्रबंधन और समिति सदस्य किसी निर्णय पर नहीं पहुंचे हैं। सदस्य जहां इस व्यवस्था को अव्यवहारिक मान रहे हैं, तो अधिकारी संभावना तलाशने में जुटे हैं।


सिंहस्थ 2016 के दौरान भस्मआरती के दौरान श्रद्धालुओं को आरती में बैठने की बजाए चलते हुए दर्शन करने की सुविधा दी गई थी। इसे सामान्य दिनों में भी लागू करने के लिए अधिकारियों को सुझाव दिए गए हैं। अधिकारियों को यह तर्क दिए जा रहे हैं कि चलित भस्मआरती दर्शन शुरू करने से भस्मआरती की परमिशन को लेकर भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी तथा जिन श्रद्धालुओं को परमिशन नहीं मिल पाती, उन्हें दर्शन हो सकेंगे। मंदिर प्रबंधन यह स्वीकार नहीं कर सकता कि परमिशन जारी करने में भ्रष्टाचार होता है। इधर, मंदिर समिति सदस्य चलित भस्मआरती व्यवस्था को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष व कलेक्टर शशांक मिश्र कहते हैं- इस सुझाव पर मंथन किया जा रहा है। सबकी सहमति से कोई फैसला हुआ तो बताएंगे।


स्ट्रक्चर की जांच के लिए टीम आई : महाकालेश्वर मंदिर के स्ट्रक्चर की जांच के सिलसिले में विशेषज्ञ की टीम गुरुवार को आई है। टीम के सदस्यों ने मंदिर का सामान्य अवलोकन किया। विशेषज्ञ वीपी गौर इस टीम के साथ आए हैं। वे इसके पहले भी मंदिर का दौरा कर चुके हैं। टीम दो दिन तक शहर में रहेगी। शुक्रवार को भी टीम द्वारा मंदिर के स्ट्रक्चर का अवलोकन किया जाएगा। स्ट्रक्चर को लेकर जानकारी भी जुटाई है। मंदिर निर्माण में उपयोग में लिए पत्थरों की भी जांच होगी। टीम शुक्रवार और शनिवार को भी स्ट्रक्चर की जांच कर सकती है।


250 रुपए से ऑनलाइन बुकिंग कराने वालों को 50 मिनट में दर्शन का दावा


महाकालेश्वर के दर्शन के इच्छुक देश-विदेश के श्रद्धालुओं को जल्दी ही तय समय पर दर्शन की सुविधा मिलेगी। इसके लिए उन्हें मंदिर की वेबसाइट पर शीघ्र दर्शन शुल्क 250 रुपए चुकाना होगा और अपने लिए सुविधाजनक समय चुनना होगा। उन्हें जारी परमिशन पर दर्शन का समय अंकित रहेगा। ऑनलाइन जारी परमिशन से निर्धारित द्वार से प्रवेश कर वे अधिकतम 50 मिनट में दर्शन कर लेंगे। मंदिर प्रबंध समिति ने बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को लंबी कतार में समय गंवाने से बचाने के लिए ऑनलाइन दर्शन व्यवस्था की तैयारी कर ली है।