भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति अंग्रेज सरकार ने भी उन्हें सर की उपाधि से सम्मानित किया

भारत के प्रथम उप राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉक्टर राधा कृष्णन के बारे में कौन नहीं जानता अंग्रेज सरकार ने भी उन्हें सर की उपाधि से सम्मानित किया  था 



 


 




राष्ट्रप्रेम के लिए विख्‍यात राधाकृष्णन को अंग्रेजों ने दी 'सर' की उपाधि, जानें उनकी खास बातें


डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में कौन नहीं जनता. वे भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति (1952 - 1962) और द्वितीय राष्ट्रपति रहे. वे भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे. उनके इन्हीं गुणों के कारण सन् 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था. बता दें, उनका जन्मदिन 5 सितम्बर हुआ था और इस दिन पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज उनकी जन्म जयंती पर जानते हैं उनकी खास बातें.


1 डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दक्षिण भारत के तिरूतनी नाम के एक गांव में 5 सितंबर 1888 को हुआ था. वे बचपन से ही मेधावी थे. उन्होंने दर्शन शास्त्र में एम.ए. की उपाधि ली और सन् 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक नियुक्त हो गए. इसके बाद वे प्राध्यापक भी रहे. डॉ. राधाकृष्णन ने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शनशास्त्र से परिचित कराया. सारे विश्व में उनके लेखों की प्रशंसा की गई.

2 शिकागो विश्वविद्यालय ने डॉ. राधाकृष्णन को तुलनात्मक धर्मशास्त्र पर भाषण देने के लिए आमंत्रित किया. वे भारतीय दर्शन शास्त्र परिषद्‍ के अध्यक्ष भी रहे. कई भारतीय विश्वविद्यालयों की भांति कोलंबो एवं लंदन विश्वविद्यालय ने भी अपनी-अपनी मानद उपाधियों से उन्हें सम्मानित किया.


 3  राधाकृष्णन विभिन्न महत्वपूर्ण उपाधियों पर रहते हुए भी उनका सदैव अपने विद्यार्थियों और संपर्क में आए लोगों में राष्ट्रीय चेतना बढ़ाने की ओर रहता था. उन्होंने देश को गहरा ज्ञान दिया जिसे आप भी बच्चों को दिया जाता है. 


4  डॉ. राधाकृष्णन अपने राष्ट्रप्रेम के लिए विख्‍यात थे, फिर भी अंग्रेजी सरकार ने उन्हें सर की उपाधि से सम्मानित किया क्योंकि वे छल कपट से कोसों दूर थे. 


5 भारत की स्वतंत्रता के बाद भी डॉ. राधाकृष्णन ने अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. वे पेरिस में यूनेस्को नामक संस्था की कार्यसमि‍ति के अध्यक्ष भी बनाए गए. यह संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ का एक अंग है और पूरे संसार के लोगों की भलाई के लिए अनेक कार्य करती है. 


6 सन् 1949 से सन् 1952 तक डॉ. राधाकृष्णन रूस की राजधानी मास्को में भारत के राजदूत पद पर रहे. भारत रूस की मित्रता बढ़ाने में उनका भारी योगदान रहा था. 


7  सन् 1952 में वे भारत के उपराष्ट्रपति बनाए गए. इस महान दार्शनिक शिक्षाविद और लेखक को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने देश का सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न प्रदान किया. 13 मई, 1962 को डॉ. राधाकृष्णन भारत के द्वितीय राष्ट्रपति बने. सन् 1967 तक राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने देश की सेवा की. 


8  डॉ. राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक, शिक्षाविद और लेखक थे. वे जीवनभर अपने आपको शिक्षक मानते रहे. उन्होंने अपना जन्मदिवस शिक्षकों के लिए समर्पित किया. इसलिए 5 सितंबर सारे भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है.