महामृत्युंजय मंत्र पूजा

महामृत्युंजय मंत्र पूजा


महामृत्युंजय मंत्र का जाप करवाने से मृत्यु, भय, रोग, शोक और अन्य दोष का प्रभाव कम होता है खुशहाल एवं सफल जीवन के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करें।


ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।


उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।


शिव शंकर की उपासना में महामृत्युंजय सर्वशक्तिशाली माना जाता है। इस महत्वपूर्ण मंत्र के उच्चारण मात्र से व्यक्ति के जीवन से अचानक मृत्यु एवं का भय समाप्त होता है। महामृत्युंजय मंत्र शिव शंकर को प्रसन्न करने हेतु सबसे सरल तरीकों में से एक है। इस मंत्र की शक्ति से व्यक्ति के ऊपर से मत्य समान घोर संकट भी टल जाता है। किसी भी प्रकार की भयंकर विपदा उसके निकट नहीं आती। यदि कोई लंबे समय से बीमारी से परेशान है तो इस मंत्र की शक्ति से उसकी समस्या का भी निवारण प्राप्त होता है। महामृत्यंजय मंत्र महादेव के मंत्रों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है। इसलिए इससे प्रदान हुआ फल भी विभिन्न और अधिक होता है।


महा मृत्युंजय पूजा के लाभ


अकाल मृत्यु से होती है रक्षा।


यह मृत्यु पर विजय पाने का मंत्र है।


मिलता है निरोगी रहने का आशीर्वाद।


सर्जरी, दुर्घटना जैसे आकस्मिक दुखों से करता है रक्षा।


कष्ट और संकट से बचाता है।


अपने व अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ्य के लिए हैं परेशान, घर बैठे कराएं महामृत्युंजय मंत्र का जाप। 


महामृत्युंजय मंत्रों का जाप क्यों महत्वपूर्ण है? 


ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को ग्रहों में पीड़ा का योग है या वह किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है तो यह मंत्र की शक्ति उसे इस व्यथा से बाहर आने का मार्ग प्रकाशित करता है।


___ यदि किसी व्यक्ति को धन - संपत्ति में निरंतर क्षति भोगनी पड़ रही हो या वह किसी ज़मीन या कानूनी लड़ाई से परेशान हो ,तो यह मंत्र ही उसके हल का मुख्य उपाय है।


यह मंत्र मेलापक में नाड़ीदोष ,षडाष्टक,धार्मिक कार्यों में विमुखता एवं मनुष्यों के बीच हो रहे कलह -कलेश का नाश करने की क्षमता रखता है।


महामत्यंजय मंत्र के जाप के समय इन बातों का रखें खास ख्याल।


___महामृत्युंजय का मंत्र जाप बहुत शक्तिशाली एवं कल्याणकारी मंत्र है। परन्तु इस मंत्र के उच्चारण के समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है जिससे मंत्रों द्वारा प्राप्त फल पूर्णता मंगलकारी हो और उसमें किसी प्रकार के अशुभता का संयोग न बने


मंत्रों का उच्चारण शुद्धता से किया जाना चाहिए। मंत्रों का जाप जब भी करें सदैव पूर्व दिवस की संख्या के समान या अधिक करें


मंत्रों की संख्या पिछले दिन के हिसाब से घटनी नहीं चाहिए। मंत्रों का उच्चारण सदैव धीमे स्वर में किया जाना चाहिए एवं उच्चारण के समय धुप -दीप का प्रज्वलित रहना आवश्यक है।


 मंत्रों का उच्चारण रुद्राक्ष की माला पर ही किया जाना चाहिए। जप के समय माला गौमुखी में ही रहनी चाहिए।


महामृत्युंजय के मंत्रों का जप महाकाल की प्रतिमा या शिवलिंग के समक्ष कुश के आसान पर बैठकर करना आवश्यक होता है।


महामृत्युंजय मंत्र का पूर्ण पूजन पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही संपन्न करना चाहिए , जप के समय शिवलिंग पर दूध या जल से अभिषेक अनिवार्य है।


जप के आरम्भ एवं आगामी के दिनों का स्थान एक ही होना चाहिए। 


महामृत्युंजय के मंत्रों के जाप काल में मन व ध्यान एक स्थान पर नियंत्रित रहना जरुरी है। इसके बीच आलस्य या उबासी का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।


जप काल में ब्रह्मचर्य धारण करना जरुरी है। इस समय अनुचित वार्ता से दुरी बनाएं रखे एवं मांसाहार का सेवन भी न करें।