जो सत्य वचन बोलता है, उसके लिए अग्नि जल बन जाता है।

जो सत्य वचन बोलता है, उसके लिए अग्नि जल बन जाता है।


तस्याग्निर्जलमर्णवः स्थलमरिर्मित्रं सुराः किंकराः कान्तारं नगरं गिरि र्गहमहिर्माल्यं मगारि मंगः ।


पातालं बिलमस्त्र मुत्पलदलं व्यालः श्रृगालो विषं पीयुषं विषमं समं च वचनं सत्याञ्चितं वक्ति यः ॥


भावार्थ:


जो सत्य वचन बोलता है, उसके लिए अग्नि जल बन जाता है, समंदर जमीन, शत्रु मित्र, देव सेवक, जंगल नगर, पर्वत घर, साँप फूलों की माला, सिंह हिरन, पालाल दर, अस्त्र कमल, शेर लोमडी, झहर अमृत, और विषम सम बन जाते हैं।