धाबा गाँव के भारत भारती में बना क्वारन्टीन सेंटर एक आदर्श के तौर पर उभरा है।

धाबा गाँव के भारत भारती में बना क्वारन्टीन सेंटर एक आदर्श के तौर पर उभरा है।


 


श्रमिकों की दिनचर्या देखकर एकबारगी किसी किसी को लगेगा कि यह कोई योग केन्द्र हैं। यहाँ प्रतिदिन दिनचर्या ईश प्रार्थना के साथ प्रारम्भ होती है। फिर छात्रावास के अधीक्षक श्री रामनरेश दोहरे व श्री विजय खातरकर द्वारा श्रमिकों को प्रतिदिन एक घण्टे योगासन और प्राणायाम का अभ्यास कराया जाता है।



भोजन के समय सभी भोजन मन्त्र बोलते हैं। इतना सब होते देख श्रमिकों के मन में आया कि संस्था हमारे लिए इतना कुछ कर रही है तो क्यों न वे भी संस्था की भलाई के कुछ काम करें और जुट गए जिसको जो काम आता था उसको करने के लिए।


दो श्रमिकों ने आसपास से खजूर के पत्ते लाकर झाड़ बनाना शुरू किया तो कुछ छात्रावास की पुताई में जुट गए। स्वयं के भोजन करने के लिए श्रमिक प्रतिदिन दोने-पत्तल बनाते हैं ताकि बर्तनों का कम से कम उपयोग हो और पानी भी कम खर्च होगा। कुछ महिला श्रमिक छात्रावास परिसर में लगी हरी सब्जियों की निंदाई-गुड़ाई में लग गई है।



मजदूरों से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि उन्हें दिन भर खाली बैठना अच्छा नहीं लगता और ये संस्था हमारी सेवा कर रही है तो बदले में हमें भी कुछ करना चाहिए। इसलिए दिन के खाली समय में छात्रावास परिसर के स्वच्छता और जो काम उन्हें आते हैं उसे सेवा मानकर कर रहे हैं।  


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