बलजीत सिंह जी बेनाम की ग़ज़ल , शोख़ की जिसने भी देखी शोखियाँ

ग़ज़ल


शोख़ की जिसने भी देखी शोखियाँ


गिर गईं यारो उसी पर बिजलियाँ


रोशनी की क्या कमी थी शहर में


क्यों जला दी मुफ़लिसों की बस्तियाँ


जिंदगी में जब नहीं मुश्किल कोई


सोच में फिर किसलिए डूबे मियाँ


लोग इसको नाम देते प्यार का


आदतन आती हैं मुझको हिचकियाँ


ग़ज़ल लेखक बलजीत सिंह बेनाम


Popular posts
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष पर डॉ हेडगेवार स्मारक समिति द्वारा चार दिवसीय योग प्रशिक्षण शिविर काआयोजन रखा गया है।
Image
आरएसएस का अखण्ड भारत का स्वप्न साकार होने के लक्षण दिखने लगे हैं
Image
रूणवाल परिवार द्वारा विवाह वर्षगांठ पर जरूरतमंद परिवारों को राशन किट दिया
Image
श्री सदाशिवराव खंडारे जी शासकीय अधिवक्ता इन्दौर को सर्वसहमति से श्री मांग समाज कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया गया ।
Image
पूर्व सरकार ने बंद कर दी थी तीर्थ दर्शन योजना, हमने योजना में नए आयाम जोड़े: मुख्यमंत्री श्री चौहान
Image