अघोर का अर्थ है - देह धर्म से मुक्त होना !! अघोरपंथ की साधना शरीर, मन, बुद्धि, चित्त और चेतना से ऊपर उठकर अमृत्तत्व को उपलब्ध होने की अर्थात् अद्वैत की साधना है।
पूज्य "आचार्यश्री जी" ने आज कांस्टीट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में डॉ. अमित रॉय जैन द्वारा लिखित एवं किताबघर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'द अघोरिज ऑफ इंडिया' के लोकार्पण समारोह में सम्मिलित होकर अपना आशीष-उद्बोधन प्रदान किया।
इस अवसर पर भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सी. के. साजिनारायणन जी, भारतीय मजदूर संघ के संगठन मंत्री आदरणीय श्री पवन कुमार जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद श्री अजय टमटा जी, श्री प्रशान्त जैन जी समेत बड़ी संख्या में लेखक-विचारक, मनीषी और गणमान्य जन उपस्थित रहे।