मध्य प्रदेश/डॉक्टरों की कमी सेजेलों में बंदियों की हालत खराब हाईकोर्ट का आदेश चिकित्सकों की कमेटी बनाकर कराएं बंदियों की जांच

हाईकोर्ट का आदेश चिकित्सकों की कमेटी बनाकर कराएं बंदियों की जांच                                                                            डॉक्टरों की कमी सेजेलों में बंदियों की हालत खराब                                                             भोपाल 11-2000 भोपाल। दोपहर मेट्रो प्रदेश की जेलों में कैदियों की खराब स्थिति को लेकर हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दायर जनहित याचिका के मामले में कोर्ट ने अहम आदेश जारी किया है। कोर्ट ने माना कि कैदियों की हालत बहुत खराब है। कई बंदी केंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और उनके इलाज का कोई इंतजाम सरकार के पास नहीं है। जेल में डॉक्टर तक नहीं है। कोर्ट ने आदेश दिया कि डॉक्टरों की एक कमेटी गठित कर जांच करवाई जाना चाहिए कि इस संबंध में क्या किया जा सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता अविनाश सिरपुरकर द्वारा दायर याचिका में उनकी तरफ से एडवोकेट हैं। ऐसे कैदी भी जेल में SO-9001-20 सालों से बंद हैं जो नाममात्र का अर्थदंड भी जमा नहीं कर पा रहे। याचिका में महिला कैदियों की बदतर स्थिति का मुद्दा भी उठाया गया। कहा गया कि उन्हें जेल में सैनिटरी नैपकिन तक नहीं मिलते। उनके स्वास्थ्य की देखभाल के पीयूष माथुर और सीमा शर्मा पैरवी कर रहे हैं। लिए महिला डॉक्टर तक नहीं है। 29 याचिका में कहा गया है कि जेल में निरूद्ध फरवरी को कोर्ट ने बहस सुनने के बाद कैदियों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल आदेश सुरक्षित रख लिया था जो बुधवार पा रही हैं। क्षमता से ज्यादा कैदी जेल में बंद को जारी हुआ। अब 17 मार्च को फिर होगी बहस न्यायालय ने माना कि जेलों में बंद कैदियों के लिए चिकित्सा की पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। जेल में कई मरीज एचआईवी पॉजिटिव हैं। कई कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं हैं। एक भी महिला डॉक्टर नहीं है। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि मेडिकल कॉलेज डीन और कलेक्टर शपथ पत्र पर बताएं कि क्या सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान योजना के तहत कैदियों का पर्याप्त इलाज कराया जा सकता है। कोर्ट ने वरिष्ठ अभिभाषक से कहा है कि वे इस बात की संभावना भी तलाशें कि कैदियों का इलाज निजी अस्पतालों में कराया जा सकता है। कोर्ट अब इस मामले में 17 मार्च को बहस सुनेगी।