आज इंदौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बद्रीनाथ जिले के सम्राट चंद्रगुप्त नगर में केशव शाखा द्वारा रक्तदान देहदान नेत्रदान शिविर का आयोजन किया गया |
इस शिविर में मुख्य रूप से उपस्थित रहे देवपुत्र पत्रिका के संपादक श्री कृष्ण कुमार जी अष्ठनाजी
एवं बद्रीनाथ जिले के माननीय संघचालक प्रेम जी सोनी एवं चंद्रगुप्त नगर के माननीय संघचालक गिरीश जी केलकर साथ में मंच पर उपस्थित रहे | एमके इंटरनेशनल आई बैंक की डॉक्टर श्रीमती उमा जी झावर, डॉ रुपेश जी मोदी , डॉ श्री आर एस चौहान, बिरला हॉस्पिटल के डॉक्टर मुकेश जी बिरला, डॉक्टर मुकेश जी के द्वारा यहां पर पधारे समाज जन का चेकअप किया गया | और नेत्रदान देहदान रक्तदान के फार्म भरवाए गए | बड़ी संख्या में समाजजन ने कार्यक्रम में सम्मिलित होकर रक्त दान, देहदान , नेत्रदान, के फार्म भरे |
इसी के साथ डॉक्टर श्रीमती उमा जी झंवर ने कुछ जानकारियां साझा की | उन्होंने बताया कि केशव सेवा समिति ने आज इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर इस कार्यक्रम में बुलाया है| इसके लिए आप सभी का धन्यवाद आज इस मंच से जो बात में बताना चाहती हूं ऐसे कार्यक्रमों में मैं पहली बार आज आई हूं आगे मैं आपको जानकारी बताना चाहती हूं कि आप नेत्रदान कब, कहां और कैसे कर सकते हैं | जैसे यहां पर बताया गया है कि यहां पर नेत्रदान के फार्म भरवाए जा रहे हैं| इसके लिए मैं कुछ जानकारी आपको बताना चाहती हूं नेत्रदान मृत्यु के बाद 6 घंटे के अंदर नेत्रदान होना अनिवार्य है | जैसे ही मृत्यु की सूचना मिलती है सबसे पहले मृतक की पलकें बंद करें , पलकों के ऊपर गिली रुई रख दें सिर के निचले भाग में मोटा सिरहाना (तकिया ) लगा दे | और पंखा बंद कर दें गर्मी के समय में ऐसी अथवा मैं कूलर चलने दें जिससे टेंपरेचर मेंटेन रहेगा यह सारा काम करके तुरंत ही नेत्रदान बैंक को सूचित करें नेत्रदान की टीम आएगी और केवल लेंस निकालेगी | जिसके बाद डॉक्टर की टीम उसकी जांच कर के इंडिया में जहां भी जरूरत होती है वहां पहुंचाते हैं | 24 घंटे नेत्रदान की टीम उपस्थित होती है हम सभी लोग नेत्रदान कर सकते हैं| छोटे बच्चों से लगाकर बड़ों तक इसमें कोई उम्र का बंधन नहीं है |
इसके बाद डॉ रूपेश मोदी ने बताया कि कैसे हम रक्तदान ,देहदान और नेत्रदान कर सकते हैं | उन्होंने कहां की मनुष्य यदि अपना कल्याण चाहते हैं तो मनुष्य को दान वान होना चाहिए इसके बाद उन्होंने तुलसी जी द्वारा लिखा हुआ रामायण महापुराण का दोहा भी सुनाया जिसमें तुलसीदास जी ने दान के बारे में क्या लिखा है इसके पश्चात उन्होंने देव दानव तथा मानव के ऊपर 1 वाक्य सुनाएं उन्होंने कहा कि एक बार देवता दानव वह मानव अपने कल्याण की भावनाओं को लेकर ब्रह्मा जी के पास गए | और अपने कल्याण के लिए भगवान ब्रह्मा से पूछा तो ब्रह्मा जी केवल द कह कर रुक गए ब्रह्मा जी ने आगे कुछ नहीं कहा तो देवताओं ने द का मतलब दया करना स्वीकारा , उसी प्रकार दानव ने द से दमन करना स्वीकारा, और अंत में मानव ने द से दान करना स्वीकारा सभी ने अपने कल्याण के लिए अपना अपना धर्म स्वीकारा आगे उन्होंने कहा कि मानव धर्म में मृत्यु के बाद नेत्रदान व देह दान करना सबसे बड़ा पुण्य का काम और दान है | उन्होंने आगे कहा कि दुनिया में सबसे पहले नेत्रदान 1905 में हुआ था | और दुनिया में नेत्र बैंक की प्रथम स्थापना 1948 में हुई थी अंत में उन्होंने नेत्रदान वादे दान के लिए एमके इंटरनेशनल आई बैंक के नंबर भी बताएं जो इस प्रकार हैं, 786 9 19 19 19, 94 06 63 19 19 आप इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं |
शिविर में योगदान रहा केशव सेवा समिति , केशव शाखा की और से डॉ. मुकेश जी , मुकेश जी कुमावत, राजेंद्र जी कोचला, जगदीश जी पाराशर, प्रकाश जी लखेरा, राजेंद्र जी व्यास, गौरव जी पवार, घनश्याम जी पाल, अनिल जी राजपूत , राकेश जी पाल एवं भारत सिंह जी वर्मा