पौधारोपण बहुत जरूरी है, पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो हम भी सुरक्षित रहेंगे रहेगा तो हम भी जब से दुनिया शुरू हुई है, तभी से इंसान और कुदरत के बीच गहरा रिश्ता रहा है। पेड़ों से पेट भरने के लिए फल- सब्जियां और अनाज मिला। तन ढकने के लिए कपड़ा मिला। घर के लिए लकड़ी मिली। इनसे जीवनदायिनी ऑक्सीज़न भी मिलती है, जिसके बिना कोई एक पल भी जिन्दा नहीं रह सकता। इनसे औषधियां मिलती हैं। पेड़ इंसान की ज़रूरत हैं, उसके जीवन का आधार हैं। अमूमन सभी मजहबों में पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया गया है। भारतीय समाज में आदिकाल से ही पर्यावरण संरक्षण को महत्व दिया गया है। भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों को पूजा जाता है। विभिन्न वृक्षों में विभिन्न देवताओं का वास माना जाता है। पीपल, विष्णु और कृष्ण का, वट का वृक्ष ब्रह्मा, विष्णु और कुबेर का माना जाता है, जबकि तुलसी का पौधा लक्ष्मी और विष्णु, सोम चंद्रमा का, बेल शिव का, अशोक इंद्र का, आम लक्ष्मी का, कदंब कृष्ण का, नीम शीतला और मंसा का, पलाश ब्रह्मा और गंधर्व का, गूलर विष्णू रूद्र का और तमाल कृष्ण का माना जाता है। इसके अलावा अनेक पौधे ऐसे हैं, जो पूजा-पाठ में काम आते हैं, जिनमें महुआ और सेमल आदि शामिल हैं। वराह पुराण में वृक्षों का महत्व बताते हुए कहा गया है- जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, एक बड. दस फल वाले पौधे या बेलें. दो अनार दो नारंगी और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह नरक में नहीं जाएगा। ___ यह हैरत और अफसोस की ही बात है कि जिस देश में, समाज में पेड़-पौधों को पूजने की प्रथा रही है, अब उसी देश में, उसी समाज में पेड कम हो रहे हैं। बदलते दौर के साथ लोगों का प्रकति से रिश्ता टटने लगाबढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए वृक्षों को काटा जा रहा है। नतीजतन जंगल ख़त्म हो रहे हैं। देश में वन क्षेत्रफल 19.2 फीसद है, जो बहत ही कम है। इससे पर्यावरण के सामने संकट खडा हो गया हैघटते वन क्षेत्र को राष्ट्रीय लक्ष्य 33.3 फीसद के स्तर पर लाने के लिए ज़्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने होंगे। साथ ही खुशनुमा बात यह भी है कि अब जनमानस में पर्यावरण के प्रति जागरूकता आ रही है। लोग अब पेड़-पौधों की अहमियत को समझने लगे हैं। महिलाएं भी इस पुनीत कार्य में बढ़ चढकर शिरकत कर रही हैं। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के गांव मझार की किरण ने अपने विवाह से पहले एक हजार पौधे लगाए। उन्होंने विवाह की मेहंदी लगाने के बाद अगले दिन सुबह से ही गड्ढे खोदे और उनमें पौधे लगाए। इस मुहिम में मझार और इसके आसपास के गांवों के लोगों खासकर लड़कियों और महिलाओं ने भी मदद की। किरण का कहना है कि वे पौधारोपण के जरिये अपने विवाह को यादगार बनाना चाहती थीं। आज इस तरह जंगल खत्म हो रहे हैं, पेड़ सूख रहे हैं, इसे देखते हुए पौधारोपण बहुत ज़रूरी है। पर्यावरण सुरक्षित रहेगा, तो हम भी सुरक्षित रहेंगे। किरण के पिता जितेंद्र सिंह अपनी बेटी के इस काम से बहुत खुश हैं। वे कहते हैं कि लोगों को इससे प्रेरणा मिलेगी. ___ इस बार ईद-उल-फ़ित्र के मौके पर ईद की नमाज़ के बाद जगह-जगह पौधारोपण किया गया। ईदी के तौर पर एक-दूसरे को पौधे भी दिए गए। तकरीर में इमाम साहब ने कहा कि इस्लाम में पर्यावरण संरक्षण को बहुत महत्व दिया गया है। कुरान कहता है- जल और थल में बिगाड़ फैल गया खुद लोगों की ही हाथों की कमाई के कारण, ताकि वह उन्हें उनकी कुछ करतूतों का मजा चखाए, शायद वे बाज़ आ जाएं। पैगम्बर मुहम्मद सल्ल, ने फरमाया- अगर कयामत आ रही हो और तुम में से किसी के हाथ में कोई पौधा हो. तो उसे ही लगा ही दो और नतीजे की फ़िक्र मत करो। पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फ़रमाया-जिसने अपनी ज़रूरत से ज़्यादा पानी को रोका और दूसरे लोगों को पानी से वंचित रखा, तो अल्लाह फैसले के दिन उस शखूस से अपना फ़जलो-करम रोक लेगापैगम्बर मुहम्मद सल्ल. न फरमाया जा र सल्ल. ने फरमाया- जो शखस कोई है या खेतीबाड़ी करता है। फिर उसमें से कोई परिंदा, इंसान या अन्य कोई प्राणी खाता है, तो यह सब पौधा लगाने वाले की नेकी में गिना जाएगा। पैगम्बर मुहम्मद सल्ल, ने फ़रमाया- जो भी खजूर का पेड़ लगाएगा, उस खजूर से जितने फल निकलेंगे, अल्लाह उसे उतनी ही नेकी देगा। पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया- जिस घर में खजूर का पेड़ हो, वह भुखमरी से परेशान नहीं हो सकता। आओ पौधे लगाएं, अपनी धरा को हरा बनाएं... पौधा लगाता अपनी धरा को हरा बनाएं...
पौधारोपण बहुत जरूरी है, पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो हम भी सुरक्षित रहेंगे