सरकार ने दी बिल्डरों को ईडब्ल्यूएस मकान बनाने से छूट अब एक बार में सारी राशि जमा कराएगी सरकार





  • बिल्डरों को ईडब्ल्यूएस मकान बनाने से छूट अब एकमुश्त राशि जमा कराएगी सरकार









    बिल्डरों को ईडब्ल्यूएस मकान बनाने से छूट अब एकमुश्त राशि जमा कराएगी सरकारप्रदेश में पहली बार रियल एस्टेट को बढ़ावा देने के ऐसे नियम तैयार किए गए हैं, जिसमें आम जनता, कॉलोनाइजर और निवेशकों...




    प्रदेश में पहली बार रियल एस्टेट को बढ़ावा देने के ऐसे नियम तैयार किए गए हैं, जिसमें आम जनता, कॉलोनाइजर और निवेशकों के लिए नए प्रावधान हैं। मंगलवार को कैबिनेट ने नई रियल एस्टेट पालिसी-2019 को मंजूरी दे दी। इसमें खास तौर पर आम जनता के लिए छोटे आवासों के निर्माण की तत्काल अनुमति दिए जाने की व्यवस्था की गई है। अभी तक बिल्डरों को काॅलोनी का निर्माण करने में 15 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आवासों का निर्माण करना जरूरी था, जिसे खत्म कर दिया गया है। अब बिल्डर से एकमुश्त ईडब्ल्यूएस आवासों पर होने वाले खर्च की राशि सरकार जमा करवाएगी और इसका उपयोग मुख्यमंत्री आवास मिशन के तहत आगामी चार सालों में बनाए जाने वाले 6 लाख आवासों में होगा। नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि यदि बिल्डर चाहे तो ईडब्ल्यूएस अावास बना भी सकता है।

    नई रियल एस्टेट पालिसी में एनओसी के प्रावधानों में कमी की गई है। लैंड पूलिंग के माध्यम से अधिक भूमि की वापसी की व्यवस्था होगी। कॉलोनाइजर्स को अनुमति के लिए पहले 27 दस्तावेजों की जरूरत होती थी, जिनकी संख्या घटाकर 5 कर दी गई है। इसमें रजिस्ट्री, खसरा, टीएंडसीपी का लेआउट, डायवर्सन व नक्शा शामिल होंगे। नई नीति में भोपाल मेट्रोपालिटन सिटी बनने जा रहा है, इसलिए प्लानिंग एरिया में फ्री एफएआर किया जाएगा। इससे ज्यादा निवेश आ सकेगा। 

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    अवैध कालोनियों को वैध करने आगामी कैबिनेट में आएगा प्रस्ताव 

    नगरीय प्रशासन मंत्री ने बताया कि प्रदेश में 4 हजार से ज्यादा अवैध काॅलोनियों को वैध करने सरकार आगामी कैबिनेट में प्रस्ताव लाएगी। इसके अनुसार पहले चरण में ऐसी काॅलोनियां वैध होंगी, जिनमें 80 से 90 प्रतिशत निर्माण किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि भोपाल का मास्टर प्लान इस साल के अंत में बनकर तैयार हो जाएगा। इसके साथ ही बीडीए समेत अन्य शहरों की संस्थाओं के लिए नए सिरे से नियम तैयार किए जा रहे हैं। इसमें लैंड पूलिंग में वापसी की सीमा 50 से प्रतिशत घटाकर 40 से 45 प्रतिशत की जाएगी। 

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    आगामी पांच साल में ई व्हीकल पालिसी पर खर्च होंगे 150 करोड़ रुपए 

    राज्य सरकार आगामी पांच सालों में ई-व्हीकल की खरीदी पर 150 करोड़ तक की सब्सिडी देगी। इस अवधि में 2200 ई बसें खरीदी जाएंगी और अलग से चार्जिंग स्टेशन भी बनाए जाएंगे। राज्य सरकार की मंशा के अनुसार इन बसों का संचालन शुरुआत में प्रदेश के चारों बड़े शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में किया जाएगा ताकि प्रदूषण पर रोक लगाई जा सके। ये सभी प्रावधान इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2019 में किए गए हैं जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर मोटर व्हीकल टैक्स एवं रजिस्ट्रेशन टैक्स में शत-प्रतिशत रियायत प्रदान की जाएगी। पहले पांच सालों में नगरीय निकायों के अधीनस्थ संचालित पार्किंग में शत-प्रतिशत रियायत का प्रावधान भी है। 

    बिल्डरों से मिली राशि का उपयोग मुख्यमंत्री आवास योजना में होगा 

    नई पॉलिसी में यह है प्रावधान 

    कॉलोनाइजर के लिए पूरे प्रदेश में निर्माण कार्य के लिए एक बार पंजीयन करवाना होगा जो पांच साल के लिए होगा। वे इससे भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर समेत प्रदेश के सभी स्थानों पर निर्माण कर सकेंगे। 

    दो आश्रय शुल्क के स्थान पर एक बार शुल्क की यह राशि जमा होगी। 

    कॉलोनी के विकास व पूर्णता की तीन चरणों में अनुमति की सुविधा। 

    अवैध कॉलोनाइजेशन को रोकने के लिए न्यूनतम 2 हेक्टेयर में निर्माण की बाध्यता खत्म। 

    बंधक संपत्ति को चरणों में रिलीज करने की व्यवस्था का क्रमश: 50, 75 और 100% विकास होगा। 

    24 मीटर चौड़े रोड पर जमीन के उपयोग की नीति में परिवर्तन। 

    ईडब्ल्यूएस के निर्माण की अनिवार्यता से छूट। 

    ग्रीन टीडीआर। प्लानिंग एरिया की परिधि में फ्री एफएआर की सुविधा। 

    टीडीआर और टीओडी के माध्यम से हाई कैपिटल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर। 

    सैटेलाइट टावर्स की स्थापना। 

    मेट्रोपॉलिटन एरिया व अथॉरिटी का निर्धारण। 

    ईडब्ल्यूएस व एलआईजी बनाने वाले निवेशकों को प्रोत्साहन, फ्री एफएआर की सुविधा। 

    कंसोर्टियम की अनुमति व मास्टर प्लानर का अधिकार। 

    हॉस्टल भवनों के रखरखाव के लिए विभिन्न प्रावधान। 

    राजस्व, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग व नगरीय निकायों में दस्तावेजों में सामंजस्य। 

    डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस सुविधाएं जिससे कर चोरी की संभावनाओं पर रोक लग पाएगी। 

    कॉलोनाइजर को सुविधा 

    और निवेशकों को फायदा 

    आम जनता के लिए 

    27 प्रकार के दस्तावेजों की संख्या घटाकर 5 कर दी गई है। 

    छोटे आवासों के लिए तत्काल अनुमति मिलेगी। 

    लैंड पूलिंग के माध्यम से अधिक भूमि की वापसी। 

    पुरानी स्कीम के लिए पारदर्शी निर्णय की प्रक्रिया। 

    आम लोगों को अपनी जमीन पर घर बनाने या बिल्डर को अपने प्रोजेक्ट में नजूल अनापत्ति प्रमाण-पत्र के लिए अब भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने नजूल एनओसी के लिए नए नियम बना दिए हैं, जिसमें आवेदक को उसके लिए कोई आवेदन नहीं करना पड़ेगा। अब तक यदि कोई भी निजी भूमि पर निर्माण के नक्शे या प्लान की परमिशन के लिए अावेदन देता था तो उसे नजूल की एनओसी देना होती थी। यह इसलिए जरूरी था कि जिस भूमि पर परमिशन मांगी गई है, कहीं वह सरकारी तो नहीं है। इसके लिए आम व्यक्ति या बिल्डर को नजूल के चक्कर लगाने पड़ते थे। उसे वर्ष 1959 के पहले के खसरे निकलवाने पड़ते थे। वहां से एनओसी मिलने के बाद ही परमिशन दी जाती थी। इसमें आवेदन करने वाले का काफी समय और पैसा लगता था। विभागीय सूत्रों के अनुसार गिनती के ही आवेदन गलत होते थे, लेकिन उसके चक्कर में अन्य लोगों को इस नियम से परेशानी उठाना पड़ती थी। इसे देखते हुए नियमों में संशोधन किया गया है। नियम में संशोधन के बाद अब परमिशन के लिए आवेदन करने वाले को नजूल एनओसी नहीं देना होगी। 

    जिस जमीन के लिए आवेदन किया गया है, यदि रेवेन्यू रिकॉर्ड में वह भूमि आवेदक के नाम पर दर्ज है तो परमिशन देना वाले सक्षम अधिकारी सात दिन के अंदर नजूल अधिकारी को एनओसी जारी करने के लिए लिखेंगे। आवेदक को एनओसी के लिए नहीं जाना होगा। नजूल अधिकारी को 30 दिन का समय एनओसी जारी करने के लिए दिया जाएगा। यदि इस अवधि में नजूल एनओसी नहीं मिलती, तो यह समझा जाएगा कि अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया है और आगे की कार्यवाही की जाएगी। नजूल एनओसी के कारण परमिशन में देरी नहीं की जाएगी।